तुरत षडानन आप पठायउ । लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥ जन्म जन्म के पाप नसावे । अन्तवास शिवपुर में पावे ॥ शिव चालीसा - जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला. सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥ वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद https://shivchalisas.com